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Surajkund Mela 2025: इस दिन होगा देश के सबसे बडे मेले का आगाज, यहां से खरीदे टिकट

Surajkund Mela 2025: सूरजकुंड मेला हर साल अपने अद्भुत रंग-रूप और सांस्कृतिक धरोहर से लोगों को आकर्षित करता है। इस वर्ष सूरजकुंड मेला का आयोजन 7 फरवरी से 23 फरवरी तक किया जाएगा। हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित होने वाला यह मेला इस बार खास होने जा रहा है। 38वें सूरजकुंड मेले में इस बार कई नए और दिलचस्प पहलू देखने को मिलेंगे। जानिए इस बार मेले में क्या खास होने वाला है।

सूरजकुंड मेला 2025 का विशेष आकर्षण

इस बार सूरजकुंड मेला न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध होगा, बल्कि कई नई पहलुओं के कारण भी यह और भी रोमांचक होगा। मेले में आने वाले लोग न केवल पारंपरिक हस्तशिल्प और कला का आनंद लेंगे, बल्कि एक नई तरह की सुविधा का भी अनुभव करेंगे।

टिकट दरों का निर्धारण और नई बिक्री व्यवस्था

सूरजकुंड मेले के टिकट की दरें इस बार पहले से तय कर दी गई हैं। खास बात यह है कि अब पर्यटक टिकट खरीदने के लिए केवल मेले के ऑफिशियल वेबसाइट पर ही निर्भर नहीं होंगे। हरियाणा पर्यटन विभाग ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के साथ मिलकर टिकट बिक्री के लिए नई व्यवस्था की है। अब लोग DMRC की वेबसाइट, ऐप और मेट्रो स्टेशनों से भी टिकट खरीद सकते हैं। इससे पर्यटकों को टिकट खरीदने में और अधिक सुविधा होगी, और वे मेला स्थल तक पहुंचने में आसानी महसूस करेंगे।

थीम सांग ‘यह सूरजकुंड का मेला है’

इस बार मेले में हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा तैयार किया गया विशेष थीम सांग ‘यह सूरजकुंड का मेला है’ सुनने को मिलेगा। इस गीत को खास तौर पर मेले को आकर्षक बनाने के लिए तैयार किया गया है। यह गीत सूरजकुंड के मेला अनुभव को जीवंत करता है और इसमें मेला की संस्कृति और धरोहर को प्रकट करने की कोशिश की गई है।

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मुख्य अतिथि और उद्घाटन समारोह

इस बार के सूरजकुंड मेले में केंद्रीय पर्यटन मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। मेले का उद्घाटन भी उन्हीं के द्वारा किया जाएगा। यह मेले की एक महत्वपूर्ण और सम्मानजनक घटना होगी, क्योंकि केंद्रीय मंत्री का उद्घाटन कार्यक्रम मेले की अहमियत को और बढ़ाता है।

Surajkund Mela

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का विशेष प्रस्तुतीकरण

सूरजकुंड मेला इस बार ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की थीम को भी प्रदर्शित करेगा। उद्घाटन समारोह के दौरान कलाकारों द्वारा इस थीम से संबंधित विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का उद्देश्य देश की विविधताओं और एकता को बढ़ावा देना है। इस प्रस्तुति के द्वारा देश के विभिन्न राज्यों और संस्कृति को एक मंच पर लाया जाएगा।

1300 कारीगरों का भाग लेना

इस वर्ष के सूरजकुंड मेले में 1300 कारीगर अपनी कला और शिल्प का प्रदर्शन करेंगे। मेले में देशभर से कारीगरों के अलावा विदेशी कारीगर भी भाग लेंगे। इसके जरिए भारत की समृद्ध हस्तशिल्प संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा। मेले में आने वाले लोग विभिन्न प्रकार की पारंपरिक कला, हस्तशिल्प, वस्त्र, खिलौने, गहनों और शिल्प का आनंद ले सकेंगे।

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विदेशी कारीगरों की भागीदारी

इस वर्ष मेले में विदेशी कारीगरों का भी खास योगदान रहेगा। तुर्की के कारीगर अपनी विशिष्ट लैंप लाइट्स के साथ सूरजकुंड मेला पहुंचे हैं। इन कारीगरों की कला भी मेले में एक आकर्षण का केंद्र बनेगी। इसके साथ ही, विभिन्न देशों के कारीगर अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे, जिससे मेले में एक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव मिलेगा।

सुरक्षा व्यवस्था और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल

सूरजकुंड मेला में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं। मेले की सुरक्षा में सौ से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, मेले के पूरे क्षेत्र में आधुनिक सुरक्षा कैमरे लगाए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। इससे आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित माहौल मिलेगा और वे बेफिक्र होकर मेले का आनंद ले सकेंगे।

BIMSTEC देशों के लिए विशेष गैलरी और द्वार

इस बार सूरजकुंड मेला में BIMSTEC (बंगाल बहुक्षेत्रीय बहुपक्षीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन) देशों को एक विशेष स्थान दिया गया है। इन देशों के लिए एक अलग गैलरी बनाई गई है, जहां इन देशों की सांस्कृतिक धरोहर और कला का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही, मेले में एक BIMSTEC गेट भी बनाया गया है, जिससे इन देशों की उपस्थिति को विशेष रूप से दर्शाया जाएगा।

इस वर्ष का सूरजकुंड मेला अपने कई नए पहलुओं और विशेष आयोजनों के कारण और भी खास होने जा रहा है। मेले में भाग लेने वाले लोग न केवल भारतीय कला और संस्कृति का आनंद लेंगे, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव भी प्राप्त करेंगे। विभिन्न राज्यों और देशों के कारीगरों की भागीदारी और आधुनिक सुरक्षा इंतजाम मेले को एक नए स्तर पर ले जाएंगे। यह मेला न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह भारत की विविधता और एकता को भी प्रदर्शित करता है।

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